पर्यावरण
पर्यावरण में बदलाव आ रहा है उसके लिए हम दोषी है क्यों की हमने पर्यावरण रक्षक पेड़ों की निरंतर कटाई तो की परन्तु पेड़ लगाने थे सो लगाये दस तो उन में भी कुछ में पानी डाला कुछ में नहीं बड़ी बड़ी बाते कई सेमिनार ,कई आन्दोलन हो जाते है परन्तु इस का परिणाम कुछ नहीं सेमिनारो में नास्ता किया कितना खर्चा किया उतना टाइम में दस पेड़ लगते पानी देते तो एक अछा स्वस्थ पेड़ लगता जितने दिन मिडिया,न्यूज पेपर में खबर आती है उतने दिन तो लोग याद रखते है फिर वही पुरानी बाते हम रोटी खाने के लिए मेहनत करते है उसही तरह समाज को बदलने के लिए रोज मेहनत करनी होगी तब तो कुछ बदलेगा वर्ना कुछ नहीं बदलेगा गाँधी जी को इशीलिए याद करते है, की उन्होंने बदलाव किया अपने आप को समर्पित कर दिया हम गाँधी जी तो नहीं बन सकते परन्तु कुछ तो समर्पण देश में फेली बुराईयो के लिए कर ही सकते है
स्वम बदलो तो बदलेगा समाज, " समाज बदलेगा तो देश बदलेगा बस समर्पण और ऊँची सोच की जरुरत है "
No comments:
Post a Comment